क्या उत्तर प्रदेश में झांसी के ईसाई मिशनरी के स्कूल में जय श्रीराम बोलने पर चार छात्र-छात्राएं स्कूल से निष्कासित किये गये?
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उत्तर प्रदेश में झांसी के ईसाई मिशनरी के स्कूल में जय श्रीराम बोलने पर चार छात्र-छात्राएं स्कूल से निष्कासित -
ईसाई मिशनरियों में हिन्दूओं के खिलाफ कितना जहर भरा है यह इसाई मिशनरियों द्वारा हिन्दू विरोधी कृत्यों से समझा जा सकता है, क्योंकि ईसाई मिशनरियों द्वारा हिन्दू विरोधी अलग-अलग तरह के कृत्य पहले से ही किया जाता रहा है।
उत्तर प्रदेश में झांसी के मऊरानीपुर में एक ईसाई मिशनरी के स्कूल सेंट मेरी कालेज में शुक्रवार 1दिसंबर2023 को बच्चों को नॉलेज के आधार पर निबंध बोलना था। इसके लिए 10वीं कक्षा के बच्चों के अलग-अलग ग्रुप बनाये गये थे। एक ग्रुप के चार बच्चों रौनक यादव, पीयूष श्रीवास, अनुराग गोस्वामी और एक छात्रा ने अयोध्या और भगवान श्रीराम के बारे में निबंध पर बोलना शुरू किया और अपनी बात जय श्रीराम से समाप्त की थी। जिसके बाद प्रधानाचार्य ने बच्चों को कार्यालय में बुलाकर लिखित रूप से माफीनामा लिखवाया कि वे भविष्य में जय श्रीराम नहीं बोलेंगे और बच्चों को सजा के तौर पर आठ दिनों के लिए स्कूल से निष्कासित कर दिया। इसके बाद छात्रों का हिंदू संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने शनिवार 2दिसंबर2023 को इस ईसाई मिशनरी के स्कूल के विरूद्ध प्रदर्शन किया और इस ईसाई मिशनरी स्कूल के फादर का पुतला फूंका तथा स्थानीय प्रशासनिक अधिकारी को ज्ञापन देकर इस स्कूल के खिलाफ कार्यवाही की मांग की। इसके बाद स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों के हस्तक्षेप पर स्कूल द्वारा बच्चों के अभिभावकों को फोन कर बच्चों को स्कूल भेजने के लिए कहा गया।
यह घटना यदि किसी हिन्दू व्यक्ति के स्कूल द्वारा किसी अन्य धर्म के बच्चों के साथ घटित हुआ होता तो तथाकथित धर्मनिरपेक्ष पार्टियों , संगठनों और लोगों द्वारा पूरे देश में हंगामा मचा दिया गया होता। हिन्दू बच्चों को ईसाई मिशनरी के स्कूल में निबंध पर बोलते हुए इसके अंत में जय श्रीराम बोलने पर स्कूल से निष्कासित कर दिया गया, लेकिन तथाकथित धर्मनिरपेक्ष पार्टियों, संगठनों और लोगों द्वारा कुछ नही बोला गया।
तथाकथित धर्मनिरपेक्ष पार्टियों, संगठनों और लोगों द्वारा भारत में हिन्दूओं और हिन्दू धर्म की बात करना सांप्रदायिकता है और अन्य धर्मों के लोगों की तथा अन्य धर्मो की बात करना धर्मनिरपेक्षता है।
ईसाई मिशनरियों के स्कूलों में हिन्दू बच्चों से ईसाईयों का त्योहार क्रिसमस धूमधाम से मनवाया जाता है। लेकिन इनको हिन्दू त्योहारों में और हिन्दू देवी-देवताओं के नामों में सांप्रदायिकता नजर आती हैं तथा हिन्दू देवी-देवताओं का नाम लेने पर ईसाई मिशनरियों के स्कूल छात्र-छात्राओं पर कार्यवाही करते हैं। ईसाई मिशनरियों का एजेंडा हमेशा से हिन्दू विरोधी रहा है।
___राजेश मिश्रा_
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