शिक्षा ही समस्या

शिक्षित होने का यह मतलब नही कि मनुष्य ज्ञानी और समझदार हो गया है। यदि शिक्षित व्यक्ति को समाजिक और व्यवहारिक ज्ञान नही है तो वह समझदार कदापि नही हो सकता है। अशिक्षित/अनपढ़/गंवार व्यक्ति समाज के लिए घातक समस्या नही हो सकता है, लेकिन शिक्षित/पढ़े-लिखे लोग समाज के लिए घातक समस्या हो सकते है। 

शिक्षा का स्तर बहुत बढ़ गया है, लेकिन मनुष्य विनाश के तरफ जा रहा है, समाज टूट रहा है, रिश्ते टूट रहे है, परिवार टूट रहा है, उन्माद बढ़ रहा है और अशांति बढ़ रही है। 

वैज्ञानिकता के नाम पर शिक्षा प्रकृति को चुनौती दे रही है, इसलिए मनुष्य विनाश के तरफ जा रहा है। आधुनिक के नाम पर शिक्षा समाजिक और व्यवहारिक मर्यादायें तोड़ रही है, इसलिए समाज टूट रहा है, रिश्ते टूट रहे है और परिवार टूट रहा है। धर्म/सम्प्रदाय/मजहब/पंत/मत के नाम पर शिक्षा अंध विश्वास फैला रही है, इसलिए उन्माद और अशाति बढ़ रह है। 

समाज में शिक्षा अपने मूल चरित्र को खो दिया है, इसलिए शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो प्रकृति को प्रेम करे, समाजिक और व्यवहारिक मर्यादाओं का पालन करे और मानवीय धर्म के कर्तव्य का बोध कराये।

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