हादसे में घिरी जिंदगी
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एक खुशी की चाह में
ऐसे हादसों में घिर गये,
जो अपने थे वो बेगाने हो गये,
अपने विरान जिंदगी में
खामोश फिजाओं से
चीखें सुनने को पाये,
जिस रास्ते पर चले थे
वो रास्ते मंजिल को नही पाये,
जो कुछ भी किया
उससे कुछ हासिल
नही कर पाये,
कहीं खुशियों के झलक
नजर नही आये,
अपने हौसले और सपने को
बार-बार संजोये,
किस्मत जब भी लिखना चाहा
हवा के एक झोंके से
पन्ने पलट गये,
आंखो में अश्कों के
तुफान आ गये,
अपने जख्मों को है
किसी तरह तसल्ली दिये।
___राजेश मिश्रा_
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