प्रश्नगत धर्म और कर्म

यह कैसा धर्म युद्ध है? 
यह धर्म का युद्ध नही है, 
यह युद्ध का धर्म नही है, 
युद्ध धर्म है, युद्ध कर्म है, 
यह किसकी परिभाषा है? 
किसको मिली विजय? 
किसका हो रहा है जय? 
यह कैसा मंगल उत्सव है? 
यह कैसी मंगल ध्वनि है? 
मनुष्य की ही बलि चढ़ रही है, 
मनुष्य की ही आहुति हो रही है, 
कहीं मनुष्य भूखा मर रहा है, 
कहीं मनुष्य को बेबसी मार रही है, 
मानवीय कर्तव्य को 
कलंकित कर रहे हो, 
कर्म के अधर्म को 
युद्ध भूमि तक ले जा रहे हो, 
हैवानियत जीत रही है, 
नैतिकता की हो रही है हार, 
उसे मनुष्य नही कहा जा सकता 
जो मानवता का कर है संहार।

    ___राजेश मिश्रा_

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