इजराइल में हमास के मुस्लिम आतंकवादियों द्वारा किये गये हमले का समर्थन भारत में कांग्रेस, वामपंथियों, मुस्लिम नेताओं, मुस्लिम संगठनों, मौलानाओं और मुस्लिम छात्रो द्वारा करना शर्मनाक, और भारत के लिए दुर्भाग्यपूर्ण_

इजराइल में 7 अक्टूबर 2023 को फिलिस्तीनी संगठन हमास के मुस्लिम आतंकवादियों ने यहुदियों के पवित्र दिन शबात के दिन अचानक घुसकर हमला कर दिया। हमास के आतंकवादियों द्वारा इजराइल में निर्ममता से जनसंहार किया और हैवानियत की सारी सीमाएं तोड़ दिया गया। इसमें इजराइल के सैकड़ों निर्दोष लोग मारे गये और सैकड़ों लोग घायल हो गए। हमास ने सैकड़ों लोगों को बंधक बना लिया। 

हमास के आतंकवादियों ने इस्लाम के नाम पर इजराइल में घुसकर निर्दोष महिलाओं, बच्चों, बुढ़ो, और बिमार लोगो का बर्बरता से हत्या किया, घरों में आग लगा दिया, महिलाओं के साथ बलात्कार किया, महिलाओं को नग्गा करके, मारकर सड़को पर घुमाया और अल्लाह हू अकबर के नारे लगाए। 

भारत सरकार ने इस आतंकवादी हमले की निंदा करते हुए इजराइल में मारे गए लोगों के प्रति सहानुभूति ब्यक्त किया है और आतंकवादी हमलों के विरूद्ध इजराइल के साथ खड़े रहने की बात की है। 

लेकिन भारत में ही कांग्रेस, वामपंथियों, AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी सहित कई अन्य पार्टियों के मुस्लिम नेताओं, मुस्लिम पर्सनल ला वोर्ड सहित मुस्लिम संगठनों और मौलानाओं ने फिलिस्तीन संगठन हमास का समर्थन करते हुए इजराइल पर हमास के मुस्लिम आतंकवादी हमले का समर्थन किया है, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के सैकड़ों छात्रों ने फिलिस्तीनी संगठन हमास और उसके आतंकवादी कृत्यों के समर्थन में सड़कों पर प्रदर्शन किया और अल्लाह हू अकबर के नारे लगाए। यह बहुत ही शर्मनाक और भारत के लिए दुर्भाग्यपुर्ण है। 

इजराइल यहूदियों का देश है और यहूदियों का पवित्र दिन शबात शनिवार को मनाया जाता है, यह इजराइल में सप्ताहिक छुट्टी का दिन होता है, इस दिन इजराइल में सार्वजनिक यातायात और कारोबार बंद रहते है, और इस दिन इजराइली पुरा वक्त परिवार और दोस्तों के साथ गुजारते है। इसलिए फिलिस्तीनी संगठन हमास के मुस्लिम आतंकवादियों ने इजराइल में हमले के लिए इजराइल के पवित्र दिन शबात को चुना जिससे अधिक से अधिक लोगों की हत्या की जा सके।

फिलिस्तीन एक मुस्लिम देश है और हमास फिलिस्तीन में रहने वाले सुन्नी मुस्लिम लड़ाकों का एक संगठन है, जिसका गठन 1987 में हुआ था। हमास (Hamas) का पूरा नाम हरकत अल-मुकावामा अल-इस्लामिया (Harakat al-Muqawama al-Islamiya) यानी इस्लामिक प्रतिरोध आंदोलन है। हमास एक आंदोलन और फिलिस्तीनी के दो प्रमुख राजनीतिक दलों में से एक है। 

हमास को कई देशों से समर्थन और सहायता मिलता है, लेकिन हमास का समर्थन और सहायता करने वाले देशों की लिस्ट में सबसे ऊपर ईरान, कतर और तुर्की का नाम आता है। ईरान एक शिया बाहुल्य इस्लामिक राष्ट है। ईरान में 90% शिया और 10% सुन्नी रहते है। ईरान लम्बे समय से हमास को आर्थिक मजबूती और सैन्य हथियार मुहैया कराते हुए हमास का समर्थन कर रहा है। इजराइल पर हमास के हमले के बाद इजराइल ने युद्ध का ऐलान करते हुए हमास पर हमला किया है। इसमे मुस्लिम देश लेबनान के शिया मुसलमानों के संगठन हिज्बुल्लाह के मुस्लिम आतंकवादी और सीरिया भी इजराइल पर हमले कर रहा है। हमास का समर्थन करने वाले मुस्लिम देश 56 मुस्लिम देशो की लाबिंग हमास के समर्थन के लिए कर रहे। सुन्नी मुसलमान और शिया मुसलमान सहित मुसलमानों के सभी फिरके एक दुसरे के कट्टर दुश्मन होते है, लेकिन जब दुसरे धर्म, रिलीजन, मत, पंत और जाति की बात होती है तो सभी मुसलमान एक हो जाते है।

   ___राजेश मिश्रा_



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