क्या अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण का श्रेय भारतीय जनता पार्टी को मिलना चाहिए? और क्या यह कहना उचित है कि राम को भारतीय जनता पार्टी ने लाया है?
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क्या अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण का श्रेय भारतीय जनता पार्टी को मिलना चाहिए? और क्या यह कहना उचित है कि राम को भारतीय जनता पार्टी ने लाया है?
भारत में जितनी भी राजनीतिक पार्टियां है उसमें से केवल भारतीय जनता पार्टी ने ही अयोध्या के राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के मुद्दे को अपने प्रमुख मुद्दों में शामिल किया था। भारत में अयोध्या का राम जन्मभूमि मंदिर पिछले 500 वर्षो से एक बहुत ही ज्वलंत मुद्दा था।
मुगल आक्रान्ता बाबर के सेनापति मीर बाकी द्वारा वर्ष 1527 में बाबर के आदेश पर अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर को तोड़कर इसे मस्जिद में परिवर्तित कर दिया गया था और इसका नाम बाबरी मस्जिद रखा गया था।
हिन्दूओं ने और हिन्दू संगठनों ने अयोध्या के राम जन्मभूमि मंदिर के लिए हमेशा से संघर्ष किया, लेकिन भारत में जितनी भी राजनीतिक पार्टियां है उसमें से केवल भारतीय जनता पार्टी ने ही अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए आन्दोलनों का समर्थन किया और सड़क से लेकर संसद तथा न्यायालय तक लड़ाई लड़ा, और इसके लिए हिन्दूओं को जगाने का कार्य किया।
भारत में जितनी भी राजनीतिक पार्टियां है उसमें से केवल भारतीय जनता पार्टी ने ही भारत के लोकसभा चुनाव और उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण का मुद्दा अपने चुनावी ऐजेंडे के रुप में अपने संकल्प पत्र/घोषणा पत्र में शामिल किया था। समय-समय पर सभी लोग और सभी राजनीतिक पार्टियां केवल भारतीय जनता पार्टी से पुछती थी कि अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर कब बनाओगे।
अयोध्या के विवादित राम जन्मभूमि मंदिर में ताला लगा दिया गया-
23दिसंबर1949 को अयोध्या में विवादित राम जन्मभूमि मंदिर में सरकार द्वारा ताला लगा दिया गया था। उस समय केंद्र और उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी और जवाहर लाल नेहरू प्रधानमंत्री थे तथा गोविंद वल्लभ पंत उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे।
अयोध्या के विवादित राम जन्मभूमि मंदिर का ताला खुलने का प्रकरण-
31अक्टूबर से 1नवम्बर1985 के बीच कर्नाटक के उडूपी में हिन्दू संतो की एक धर्म संसद हुई थी। इसमें तय किया गया था कि यदि राम जन्मभूमि मंदिर का ताला सरकार द्वारा नही खोला जाता है तो संत 9 मार्च 1986 से अनशन शुरू करेगें और महंत परमहंस रामचंद्र दास ने आत्मदाह करने की बात कही थी। उसी दौरान तलाकशुदा मुस्लिम महिला शाहबानो के प्रकरण में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा तलाकशुदा मुस्लिम महिला शाहबानो को गुजारा भत्ता दिये जाने के फैसले को केन्द्र के तत्कालीन कांग्रेस सरकार के प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा मुसलमानों को खुश करने के लिए मुस्लिम शरिया के अनुरूप संसद में कानून बनाकर पलट दिया गया। जिससे तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी हिन्दूओं के निशाने पर थे और आलोचनाओं का शिकार हो रहे थे। हिन्दूओं की नाराजगी इसलिए बढ़ती जा रही थी कि तलाकशुदा मुस्लिम महिला शाहबानो को गुजारा भत्ता दिये जाने के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को मुसलमानों को खुश करने के लिए मुस्लिम शरिया के अनुरूप संसद में कानून बनाकर पलटा जा सकता है तो इसी अनुसार सरकार द्वारा राम जन्मभूमि मंदिर का ताला क्यों नही खोला जा सकता है। इसी दौरान 31जनवरी1986 को एक वकील उमेश चंद्र द्वारा जिला जज केएम पाण्डेय की अदालत में राम जन्मभूमि मंदिर का ताला खोले जाने के लिए एक याचिका दायर किया गया। जिस पर 1फरवरी1986 को शाम 4:40 के समय पर जज केएम पाण्डेय ने अपने फैसले में आदेश दिया कि राम जन्मभूमि मंदिर का ताला एक घंटे में खोल दिया जाय। पुलिस प्रशासन द्वारा अदालत के फैसले का तामील करने के लिए जिस सरकारी अधिकारी के पास उस ताले की चाभी थी उसका इंतजार करते समय हजारों की संख्या में लोग राम जन्मभूमि मंदिर पर पहुंच गए और किसी ने ताला खोल दिया।
राम जन्मभूमि मंदिर का ताला 37 वर्ष बाद खुला था। चूंकि अदालत का फैसला था तो प्रशासन ने यह पता लगाने की कोशिश नही किया कि पुलिस प्रशासन द्वारा अदालत के फैसले का तामील करने से पहले ही सरकारी अधिकारी के पास चाभी थी तो उसके अलावा उस दिन दूसरे किस व्यक्ति ने ताला खोला।
जन्मभूमि मंदिर का ताला खुलने पर तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने कांग्रेस सरकार की कैविनेट के गृह मंत्री अरूण नेहरू का मंत्रालय छीन लिया था-
विवादित राम जन्मभूमि मंदिर का ताला खुला उस समय केंद्र में प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कांग्रेस सरकार की कैबिनेट में अरूण नेहरू गृह मंत्री थे और उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार के मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह थे। विवादित राम जन्मभूमि मंदिर का ताला खुलने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने अरूण नेहरू का मंत्रालय छीन लिया। क्योंकि अरूण नेहरू राम जन्मभूमि मंदिर का ताला खुलने के पक्ष में थे। इस पुरे प्रकरण में जो कुछ भी घटित हुआ उससे सभी का ध्यान इधर-उधर भटक गया और लोगों द्वारा तरह-तरह के कयास लगाए जाने लगे।
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के सरकार के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने रामभक्त कारसेवकों पर गोलियां चलवाई थी जिसमें सैकड़ों रामभक्त कारसेवकों की मौत हो गई और सैकड़ों रामभक्त कारसेवक घायल हो गए थे-
भारतीय जनता पार्टी के समर्थन द्वारा किये जा रहे राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण आंदोलन का सभी राजनीतिक पार्टियों ने हमेशा से ही विरोध किया। 30अक्टूबर1990 को अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण आंदोलन के समय उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के सरकार के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने रामभक्त कार सेवकों पर गोलियां चलवाई थी, जिसमें सैकड़ों रामभक्त कारसेवकों की मौत हो गई थी और सैकड़ों रामभक्त कारसेवक घायल हो गए थे।
उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के सरकार के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने राम जन्मभूमि मंदिर के लिए भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश सरकार को कुर्बान कर दिया था-
6दिसंबर1992 को रामभक्त कार सेवकों के द्वारा अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर का विवादित बाबरी मस्जिद ढांचा गिरा दिया गया था। उस समय उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार थी और कल्याण सिंह मुख्यमंत्री थे। राम जन्मभूमि मंदिर का विवादित बाबरी मस्जिद ढांचा गिरने के बाद कल्याण सिंह ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश सरकार को राम जन्मभूमि मंदिर के लिए कुर्बान कर दिया।
अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर के विवाद का पहला मामला वर्ष 1885 में जिला न्यायालय में दाखिल हुआ। इसके बाद समय-समय पर इस मामले में कई मुकद्दमें विभिन्न न्यायालयों में दाखिल होते रहे और यह मामला उच्च न्यायालय होते हुए सर्वोच्च न्यायालय तक गया। कांग्रेस तथा काग्रेंस के सहयोगी और गठबंधन की पार्टियों ने राम जन्मभूमि मंदिर के मुद्दे को हमेशा लटकाने, भटकाने और अटकाने की कोशिश किया और राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के विरोध में न्यायालय में वकीलों की पुरी फौज खड़ा किया था।
विभिन्न न्यायालयों में 134 वर्ष की लड़ाई के बाद सर्वोच्च न्यायालय में 5 जजों के बेंच में 40 दिन के सुनवाई के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने 9नवम्बर 2019 को राम जन्मभूमि मंदिर के पक्ष में निर्णय दिया। उस समय केंद्र में तथा उत्तर प्रदेश में दोनो जगह भारतीय जनता पार्टी की सरकार थी, और नरेन्द्र मोदी देश के प्रधानमंत्री तथा उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री थे। केन्द्र की भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने राम जन्मभूमि मंदिर मामले में यह प्रयास किया था कि सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय होने में कोई बांधा न आये।
राम जन्मभूमि मंदिर पर सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के उपरांत केंद्र की भारतीय जनता पार्टी की सरकार द्वारा राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए "श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट" का गठन किया गया और भारतीय जनता पार्टी के सरकार के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए 5अगस्त 2020 को भूमि पूजन किया तथा 22जनवरी 2024 को राम जन्मभूमि मंदिर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा श्री राम लला को प्रतिष्ठित किया गया। इस दौरान केन्द्र तथा उत्तर प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की सरकार द्वारा अयोध्या का भब्य विकास भी किया गया। इसीलिए अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण का श्रेय भारतीय जनता पार्टी को मिलना चाहिए, और इस परिप्रेक्ष्य में कहा जा सकता है कि राम को भारतीय जनता पार्टी ने लाया है।
___राजेश मिश्रा___
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