चाहत की दूरियां

जिसको भी दिल से चाहा 
वह दूर ही रहा, 
कोई नजदीक आकर 
दूर हो गया,
कोई दूर ही दूर रहा, 
किसी को अपना 
बनाकर खो दिया, 
किसी को अपने दिल में 
बसा कर भी
अपना न बना सका, 
किसी से दिल की 
बात कहकर खो दिया, 
किसी को खोने के डर से 
न कुछ कह सका, 
जो मेरे दिल में था, 
मै उसको ही ढूंढता रहा, 
मै रहा तन्हा, 
दिल उदास रहा, 
मेरी तन्हाई में 
उनकी यादो का साथ रहा, 
मेरी यादो में 
उनका ही गम रहा, 
कुछ खुशियां भी पाया तो ऐसा 
उसका एहसास न कर सका, 
खोया भी तो ऐसा 
कुछ पाने का हसरत न रहा। 

   ___राजेश मिश्रा_



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