योगेन्द्र नाथ मंडल तथाकथित दलित नेता भारत के बंटवारे का एक खलनायक पात्र

वर्ष 1947 के दौर के तथाकथित दलित नेता योगेन्द्र नाथ मंडल के विषय में सभी को जरूर जानना चाहिए। वर्ष 1947 के दौर में योगेन्द्र नाथ मंडल भीमराव अम्बेडकर से भी बड़ा तथाकथित हिन्दू दलितो का नेता था और यह बंगाल  का रहने वाला था। योगेन्द्र नाथ मंडल भारत को मजहब के आधार पर तोड़ कर मुसलमानों के लिए अलग इस्लामिक राष्ट पाकिस्तान बनाये जाने का समर्थक था। भारत को बांट कर इस्लामिक राष्ट पाकिस्तान बनाये जाने के बाद योगेन्द्र नाथ मंडल पाकिस्तान चला गया। यदि योगेन्द्र नाथ मंडल भारत में रहा होता तो भीमराव अम्बेडकर को भारत में वह स्थान और सम्मान नही प्राप्त होता जो उन्हें प्राप्त हुआ है। 

1947 के दौर में तथाकथित दलित नेता योगेन्द्र नाथ मंडल ने भारत का मजहब के आधार पर विभाजन कर इस्लामिक / मुस्लिम राष्ट पाकिस्तान बनाये जाने का समर्थन किया था और यह अपने राजनीतिक स्वार्थ में पाकिस्तान के पक्ष में था। इसने दलित हिन्दू जातियों को गुमराह कर भारत के बंटवारे के लिए मुसलमानों के पक्ष में किया था। इसने भारत के बंटवारे के लिए मुसलमानों के आंदोलन का समर्थन किया और मुसलमानों का साथ दिया था। इसमें लगभग 30 लाख हिन्दूओं की हत्या की गयी। मुस्लिम बाहुल्य आबादी वाले क्षेत्रों में हिन्दूओं कि सम्पत्तियों को लुटा गया था, हिन्दूओं के साथ मारपीट की गयी, हिन्दूओं की हत्या की गयी थी और हिन्दू महिलाओं से बलात्कार किया गया था। भारत का विभाजन कर पाकिस्तान बनाने पर योगेन्द्र नाथ मंडल अपने समर्थकों के साथ पाकिस्तान चला गया था। योगेन्द्र नाथ मंडल के कारण भारत का एक बहुत बड़ा हिस्सा पाकिस्तान को मिल गया। योगेन्द्र नाथ मंडल ने पाकिस्तान का संविधान लिखा और यह पाकिस्तान का पहला कानून मंत्री एवं श्रम मंत्री बना। लेकिन यह किसी तरह तीन बर्ष ही पाकिस्तान में रह पाया। योगेन्द्र नाथ मंडल को भाग कर पुनः भारत आना पड़ा और भारत में 6 बर्ष तक गुमनाम जिन्दगी जिया। 

योगेन्द्र नाथ मंडल के कारण लाखो तथाकथित दलित हिन्दू पाकिस्तान के समर्थन में पाकिस्तान का हिस्सा हो गये। लेकिन बाद में इनमें से बहुतों को अपना सब कुछ पाकिस्तान में छोड़कर भाग कर भारत आना पड़ा और जो तथाकथित दलित हिन्दू वहां रहे भी उनको डर और भय से मुस्लिम धर्म स्वीकर करना पड़ा तथा जिन तथाकथित दलित हिन्दूओं ने मुस्लिम धर्म नही स्वीकर किया उनको मुसलमानों के अत्याचार और उत्पीड़न का शिकार होना पड़ा।

योगेन्द्र नाथ मंडल को बाद में भारत को मजहब के आधार पर तोड़ कर मुसलमानों के लिए अलग इस्लामिक राष्ट बनाये जाने के लिए मुसलमानों का साथ देने पर पछतावा था।

भारत का मजहब के आधार पर विभाजन करके पाकिस्तान बनने पर पाकिस्तान दो हिस्सों में था। पश्चिमी पाकिस्तान (आज का पाकिस्तान) और पुर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश)। इन दोनो हिस्सो को मिलाकर संयुक्त पाकिस्तान की कुल आबादी लगभग 6 करोड़ थी। इसमें लगभग 5.05 करोड़ मुसलमान और लगभग 95 लाख हिन्दू और अन्य गैर मुस्लिम की आबादी थी। भारत में बंटवारे के बाद 3.30 करोड़ मुसलमान भारत में थे, जो अब बढ़कर 25 करोड़ हो चुके है। पुर्वी पाकिस्तान में पश्चिमी पाकिस्तान की अपेक्षा हिन्दू और अन्य गैर मुस्लिम की आबादी अधिक थी। पुर्वी पाकिस्तान अर्थात अबके बंग्लादेश देश में हिन्दू और अन्य गैर मुस्लिम की आबादी घटकर लगभग 7% से कम और पश्चिमी पाकिस्तान अर्थात अबके पाकिस्तान में हिन्दू और अन्य गैर मुस्लिम की आबादी घटकर लगभग 1.2% से कम रह गयी है।
वर्ष 1947 समय भारत का क्षेत्रफल 43,19,263 वर्ग किलोमीटर था। मुसलमानों ने मजहब के नाम पर देश का बंटवारा कराया था। इसलिए उनकी उस समय की आबादी के हिसाब से उन्हें 6,40,840 वर्ग किलोमीटर जमीन मिलनी चाहिए थी, लेकिन 10,32,000 वर्ग किलोमीटर जमीन मुसलमानों को दी गई। यानी उनका जो हिसाब बनता था, उससे बहुत अधिक लगभग दुने के आसपास जमीन मुसलमानों दी गई और मुसलमानों की एक बड़ी संख्या भारत में रह भी गयी। भारत का बंटवारा हिन्दूओं के साध एक छल और साजिश थी। नेहरू और लियाकत समझौता करके भारत में मुसलमानों को रोकना एक सोची-समझी रणनीति थी।

   ___राजेश मिश्रा_

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