क्या उत्तर प्रदेश में जनता में अयोध्या का राम जन्मभूमि मंदिर और हिन्दुत्व का मुद्दा कभी प्रभावी रहा है?

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क्या उत्तर प्रदेश में जनता में अयोध्या का राम जन्मभूमि मंदिर और हिन्दुत्व का मुद्दा कभी प्रभावी रहा है?
          भारत में उत्तर प्रदेश के अयोध्या का राम जन्मभूमि मंदिर पिछले 500 वर्षो से एक बहुत ही ज्वलंत मुद्दा रहा है। इसके लिए हिन्दूओं ने, हिंदू संगठनों ने और भारतीय जनता पार्टी जैसे राजनीतिक दल ने सड़क से लेकर न्यायालय तक संघर्ष किया और हिन्दूओं में हिन्दुत्व को भी जगाने का कार्य किया।
          अयोध्या का राम जन्मभूमि मंदिर हमेशा भारतीय जनता पार्टी का प्रमुख मुद्दा रहा है। भारत में राजनीतिक पार्टियों में केवल भारतीय जनता पार्टी एक ऐसा राजनीतिक पार्टी रहा है जिसके एजेंडे में अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण प्रमुख रूप से शामिल रहा है और भारतीय जनता पार्टी इसके लिए हमेशा संघर्ष करती रही है। इसके अलावा भारतीय जनता पार्टी हिन्दूओं की, हिन्दुत्व की तथा भारतीय संस्कृति, भारतीय ज्ञान-विज्ञान और भारतीय परम्परा के विरासत की बात करती है। सभी लोग और सभी राजनीतिक पार्टियां हमेशा भारतीय जनता पार्टी से ही पुछते थी की राम जन्मभूमि मंदिर कब बनाओगे? 
          भारतीय जनता पार्टी के अलावा अन्य सभी राजनीतिक दल मुस्लिम तुष्टिकरण और हिन्दू समाज को जातिवाद, भाषावाद तथा क्षेत्रवाद में बांटकर राजनीति करते है। भारतीय जनता पार्टी के अलावा कोई भी राजनीतिक दल समग्र हिन्दू एकता की बात नही करता है। भारत में हमेशा से ही राजनीति ने समाज को बांटने का कार्य किया है और इसका परिणाम भारत को बांट कर अलग इस्लामिक राष्ट पाकिस्तान का निर्माण रहा है। आज भी भारत में मुस्लिम तुष्टिकरण और हिन्दूओं को जातिवाद, भाषावाद तथा क्षेत्रवाद में बांटकर राजनीति करने का कार्य किया जा रहा है और इसके लिए विभिन्न तरह का दुष्प्रचार किया जाता है। इसके अलावा भारत में आजकल आरक्षण, लोभ-लालच और मुफ्तखोरी की राजनीति हावी हो गई है। भारत में धर्म, समुदाय, जातिवाद, भाषावाद तथा क्षेत्रवाद पर आधारित पार्टियां बनीं है। भारत में राजनीति के कारण हिन्दू समाज जातियों में सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश और विहार में बंटा हुआ है। 
          उत्तर प्रदेश में हिन्दूओं के बीच जाति आधारित कई राजनीतिक पार्टियां है, जैसे कि समाजवादी पार्टी यादव जाति सहित कुछ अन्य तथाकथित पिछड़े और तथाकथित दलित जातियों की जनाधार वाली पार्टी मानी जाती है और मुसलमान भी इसे अपनी पार्टी मानता है, बहुजन समाज पार्टी कई अनुसूचित जातियों की जनाधार वाली पार्टी मानी जाती है, सुहेलदेव भारत समाज पार्टी राजभर जाति के जनाधार वाली पार्टी मानी जाती है, अपना दल कुर्मी जाति की जनाधार वाली पार्टी मानी जाती है, निषाद पार्टी निषाद जाति की जनाधार वाली पार्टी मानी जाती है और इसी तरह की अन्य जातियों की जनाधार वाली छोटी-छोटी राजनीतिक पार्टियां हैं। मुसलमान भारतीय जनता पार्टी को वोट नही देता है, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी हिन्दूओं की, और मुस्लिम आक्रान्ताओं द्वारा हिन्दू मंदिरों को तोड़ कर बनाई गई मस्जिदों को पुनः मंदिरों के रूप में प्रतिस्थापित करने की बात करती है तथा मुस्लिम तुष्टिकरण का विरोध करती है। भारत का मुसलमान उसी को वोट देता है जो भारतीय जनता पार्टी को हराने का कार्य करता है।
          उत्तर प्रदेश में अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर का विवादित बाबरी मस्जिद ढांचा 06 दिसंबर 1992 को रामभक्त कारसेवकों द्वारा गिरा दिया गया। उस समय उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के कल्याण सिंह की सरकार थी। विवादित ढांचा गिरने के बाद कल्याण सिंह ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर भारतीय जनता पार्टी की सरकार को राम जन्मभूमि मंदिर के लिए कुर्बान कर दिया। इसके उपरांत उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया। उत्तर प्रदेश में एक वर्ष राष्ट्रपति शासन लागू रहा। इसी बीच उत्तर प्रदेश में वर्ष 1993 में विधानसभा चुनाव हुआ और इसमें समाजवादी पार्टी को जीत मिली और 5दिसंबर 1993 को समाजवादी पार्टी की सरकार मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में बनी। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में यादवों और मुसलमानों ने समाजवादी पार्टी को बहुत बड़ी संख्या में वोट किया और शेष हिन्दूओं ने जातियों में बंट कर वोट दिया। यदि उत्तर प्रदेश में अयोध्या का राम जन्मभूमि मंदिर और हिन्दुत्व का मुद्दा प्रभावी होता तो भारती जनता पार्टी के कल्याण सिंह की सरकार पुनः बनती तथा समाजवादी पार्टी के मुलायम सिंह यादव की सरकार नही बनती, क्योंकि समाजवादी पार्टी के सरकार के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने मुसलमानों को खुश करने के लिए अयोध्या में 30अक्टूबर 1990 को राम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन के समय रामभक्त कारसेवको पर गोलियां चलवाई थी, जिसमें सैकड़ों रामभक्त कारसेवकों की मौत हो गई थी और सैकड़ों रामभक्त कारसेवक घायल हो गए थे। इसी कारण मुसलमानों का समाजवादी पार्टी से जुड़ाव हुआ।
          अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर के विवाद का पहला मामला वर्ष 1885 में जिला न्यायालय में दाखिल हुआ। इसके बाद समय-समय पर इस मामले में कई मुकद्दमें विभिन्न न्यायालयों में दाखिल होते रहे और यह मामला उच्च न्यायालय होते हुए सर्वोच्च न्यायालय तक गया। विभिन्न न्यायालयों में 134 वर्ष की लड़ाई के बाद सर्वोच्च न्यायालय में 5 जजों के बेंच में 40 दिन के सुनवाई के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने 9नवम्बर 2019 को राम जन्मभूमि मंदिर के पक्ष में निर्णय दिया। उस समय केंद्र में तथा उत्तर प्रदेश में दोनो जगह भारतीय जनता पार्टी की सरकार थी। केंद्र की भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने राम जन्मभूमि मंदिर मामले यह प्रयास किया था कि सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय होने में कोई बांधा न आये।
          राम जन्मभूमि मंदिर पर सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के उपरांत केंद्र की भारतीय जनता पार्टी की सरकार द्वारा राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए "श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट" का गठन किया गया और भारतीय जनता पार्टी के सरकार के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए 5अगस्त 2020 को भूमि पूजन किया तथा 22जनवरी 2024 को राम जन्मभूमि मंदिर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा श्री राम लला को प्रतिष्ठित किया गया। इस दौरान केन्द्र तथा उत्तर प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की सरकार द्वारा अयोध्या का भब्य विकास भी किया गया। इसके बाद वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को उत्तर प्रदेश में 80 सीटों में से कुल 36 सीटें प्राप्त हुयीं, इसमें भारतीय जनता पार्टी को 33 सीटें, राष्ट्रीय लोक दल को 2 सीटें, और अपना दल को 1 सीट प्राप्त हुयीं। दूसरी तरफ कांग्रेस के इंडी एलायंस को 80 सीटों में से कुल 43 सीटें प्राप्त हुयीं, इसमें समाजवादी पार्टी को 37 सींटे और काग्रेंस को 6 सीटें प्राप्त हुयीं। इसके अलावा 1सीट आजाद समाज पार्टी को प्राप्त हुयी। इससे पहले वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को स्वयं 62 सीटें प्राप्त हुयीं थी तथा वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को स्वयं 71 सीटें प्राप्त हुयीं थी। यदि उत्तर प्रदेश में अयोध्या के राम जन्मभूमि मंदिर और हिन्दुत्व के मुद्दे का प्रभाव होता तो भारतीय जनता पार्टी और इसके गठबंधन की सीटें कम नही हुई होती। लेकिन उत्तर प्रदेश में वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में हिंदूओं ने जातियों में बट कर वोट दिया और मुस्लमानों ने भारतीय जनता पार्टी और उसके गठबंधन को हराने के लिए इनके विरोध में समाजवादी पार्टी और उसके घटक दल कांग्रेस को एक मुस्त वोट दिया। इससे स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश में जनता में अयोध्या का राम जन्मभूमि मंदिर और हिन्दुत्व का मुद्दा कभी प्रभावी नही रहा है।
          ___राजेश मिश्रा_

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