गाजा के फिलीस्तीनी मुसलमानों के लिए किसी भी मुस्लिम देश और मुसलमान ने कोई मानवीय सहायता नही भेजा और सभी मुस्लिम देशों ने अपनी सीमाएं सील कर दिया है

इजराइल पर फिलिस्तीनी संगठन हमास के मुस्लिम आतंकवादियों द्वारा इस्लाम के नाम पर हमला करके बर्बर नरसंहार करने के बाद इजराइल ने हमास को खत्म करने के लिए युद्ध का ऐलान करते हुए फिलिस्तीनी शहर गाजा में हमास के ठिकानों पर इजराइल लगातार हमला कर रहा है।

दुनिया के सभी देशों के मुस्लमान, मुस्लिम संगठन और मुस्लिम देश कौम और मजहब के नाम पर हमास का समर्थन कर रहे हैं। मुसलमान हमास के समर्थन और इजराइल के विरोध में प्रदर्शन, आन्दोलन और सभाएं कर रहे हैं। भारत में भी मुसलमान और मुस्लिम संगठनों के साथ-साथ कुछ राजनीतिक पार्टियां भी मुसलमानों के वोट के लिए मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करते हुए हमास कर समर्थन कर रहे हैं।

हमास गाजा के लोगों को ह्यूमन शिल्ड के रूप में इस्तेमाल करता है। इसलिए इजराइल ने गाजा के लोगों से गाजा खाली करने के लिए कहा है। जिससे इजराइल द्वारा हमास पर हमले में गाजा के आमलोगों को छति न पहुंचे और इजराइल द्वारा हमास को खत्म करने के अभियान में बाधा न आये।

इजराइल द्वारा हमास पर हमले के बाद गाजा के फिलीस्तीनी मुसलमान के लिए खाने-पीने की चीजों, दवाइयों और आदि दैनिक जीवन से जुड़ी चीजों का अभाव हो गया है। गाजा के फिलीस्तीनी मुसलमान गाजा छोड़ कर भाग रहे है। भारत सहित संयुक्त राष्ट्र संघ और अन्य गैर मुस्लिम देशों ने गाजा के फिलीस्तीनी मुसलमानों के लिए खाने-पीने की चीजों, दवाईयों और आदि दैनिक उपयोग की चीजों को भेजा है। लेकिन दुनिया के किसी भी मुसलमान, मुस्लिम संगठन और मुस्लिम देश ने गाजा के फिलीस्तीनी मुसलमानों के लिए मानवीय सहायता नही भेजा है और इजिप्ट, जार्डन, लेबनान, तुर्की, सरिया, इरान सहित सभी मुस्लिम देशों ने गाजा के फिलीस्तीनी मुसलमानों के लिए अपनी सीमाएं सील कर दिया है, जिससे कि गाजा का कोई फिलीस्तीनी मुसलमान उनके यहां शरण लेने न पहुंचे। 

मुसलमान इस्लाम के नाम पर आंतक, दहशत, हत्या, बलात्कार, लूटपाट, आगजनी और पत्थरबाजी का समर्थन करता है। मुसलमानों का इस्लाम के नाम पर शांति, एकता, मुहब्बत और भाईचारा दुसरे को भ्रमित करने, मुर्ख बनाने, और धोखा देने का हथियार है।

दुनिया में 85% शरणार्थी मुसलमान है। दुनिया में 57 इस्लामिक देश है, लेकिन मुस्लिम शरणार्थियों को कोई इस्लामिक देश शरण नही देता है। 

अधिकांश मुसलमान मुस्लिम देशो से ही भाग कर शरणार्थी बने है। अधिकांश शरणार्थी इस्लाम के नाम पर होने वाले हिंसा और जातीय संघर्ष का शिकार हैं। इस्लामिक देशो में मुसलमान इस्लाम के नाम पर और मुस्लिम जाति के नाम पर आपस में ही हिंसा करते है। दुनिया के जिन देशो में मुस्लिमों की संख्या अधिक हो गयी है वहां मुसलमान इस्लाम के नाम पर दूसरे धर्म और सम्प्रदाय के लोगों के साथ हिंसा कर रहे है और जिस देश में शरणार्थी मुसलमान शरण लिए अब उसी देश के लिए समस्या बन गये है और वहां के लोगों से इस्लाम के नाम पर लड़ रहे है।

मुसलमानों की सभी समस्या उसका मजहवी ढांचा है। इस मजहवी ढांचे में इस मजहब पर तर्क और प्रश्न को मजहब के विरुद्ध माना जाता है। इस मजहब में कई मान्यताये है, जिसमें आपस में ही टकराव होता है। यह मजहब किसी अन्य धर्म, पंत, मत, विचार और संस्कृति को मान्यता नही देता है, और दुसरे को काफिर कहता है तथा उसकी हत्या की बात करता है, इस कारण समाज में टकराव होता है। यह मजहब इस्लामिक शासन और इस्लामिक सरिया कानून की बात करता है, यह महिलाओं और दुसरे समाज के लोगों को समानता का अधिकार नही देता है। यह मजहवी ढांचा संकिर्ण, उन्मादी, अराजकतावादी और हिंसात्मक संस्कृति को जन्म देता है। 

   ___राजेश मिश्रा_

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