क्या भारत के शंकराचार्य अपने दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं?
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भारत में सनातन हिन्दू धर्म में शंकराचार्य पद की स्थापना आदि शंकराचार्य ने की थी। आदि शंकराचार्य ने भारत में चारो दिशाओं में चार मठों की स्थापना की थी। इन चार मठों में पूर्व में जगन्नाथपुरी का गोवर्धन मठ, पश्चिम में द्वारका शारदा मठ, उत्तर में बद्रिकाश्रम का ज्योर्तिमठ और दक्षिण का शृंगेरि मठ शामिल है। इन चारो मठों के प्रमुख को शंकराचार्य कहा जाता है। संस्कृत में इन मठों को पीठ कहते हैं। इन मठों की स्थापना करके आदि शंकराचार्य ने अपने चार प्रमुख शिष्यों को इनकी जिम्मेदारी सौंपी तभी से भारत में शंकराचार्य पद की स्थापना हुई।
आदि शंकराचार्य ने सनातन हिन्दू धर्म को प्रतिष्ठित करने, सुदृढ़ करने, सनातन हिन्दू धर्म का उत्थान करने और सनातन हिन्दू धर्म की रक्षा करने का कार्य किया तथा इसी उद्देश्य से चार मठों का स्थापना किया। लेकिन धीरे-धीरे बाद में शंकराचार्य अपने उद्देश्य से भटक गये है। अब ये शंकराचार्य पद के लोभ, भोग, अहंकार, द्वेष और इर्ष्या से ग्रसित है।
जब सनातन हिन्दू धर्म, देवी-देवताओं और सनातन हिन्दू धर्म के शास्त्रों का अपमान किया जाता है तब ये शंकराचार्य मौन रहते है।
जब सनातन हिन्दू धर्म के विरूद्ध दुष्प्रचार किया जाता है तब ये शंकराचार्य मौन रहते हैं।
जब सनातन हिन्दू धर्म को खत्म करने की बात की जाती है तब ये शंकराचार्य मौन रहते हैं।
जब अयोध्या में प्रभु श्रीराम के कार सेवकों को मुलायम सिंह की सपा सरकार द्वारा गोलियों से भून दिया गया, सैकड़ों कार सेवकों की हत्या की गयी, अयोध्या की धरती और सरयू का जल कार सेवकों के खून से लाल हो गया तब ये शंकराचार्य मौन थे।
जब भारत में प्रभु श्रीराम को काल्पनिक कहा गया और राम के अस्तित्व और जन्म स्थान पर सवाल उठाए गए तब ये शंकराचार्य मौन थे।
जब रामचरित मानस की प्रतियां फाड़ी जाती है और जलायी जाती है तब ये शंकराचार्य मौन रहते हैं।
जब दुसरे साधु, संतो और संन्यासियों पर हमला किया जाता है, मारा-पीटा जाता है, हत्यायें की जाती है, इनको धार्मिक द्वेष और राजनीतिक कारणों से झूठे मुकद्दमों में फंसाया जाता है तथा इनकी गिरफ्तारियां की जाती है तब ये शंकराचार्य मौन रहते है।
जब सनातन हिन्दू धर्म के धार्मिक कार्यक्रमों, जूलूसों और यात्राओं पर हमला किया जाता है और राजनीतिक कारणों से प्रतिबंध लगाया जाता है तब ये शंकराचार्य मौन रहते है।
विधर्मियों द्वारा हजारो मंदिरों को तोड़ कर मस्जिद बनाया गया है। इनकी लड़ाई में ये शंकराचार्य मौन है।
जब काश्मीर में धर्म के नाम पर सनातन हिन्दूओं का नरसंहार किया गया, इनके महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया, इनकी सम्पत्तियों को लूट लिया गया और इनको अपना सब कुछ छोड़कर काश्मीर से भागने पर मजबूर किया गया तब ये शंकराचार्य मौन थे।
इन शंकराचार्यो के क्रियाकलापों से कहीं से ऐसा प्रतीत नही होता है कि ये आदि शंकराचार्य के अनुयायी हैं।
___राजेश मिश्रा_
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